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इस शाकाहारी डांसर को मिला था भारत की राष्ट्रपति बनने का ऑफर

शास्त्रीय नृत्य कला खासकर भरतनाट्यम को ऊंचाइयों तक पहुंचाने का श्रेय रुक्मिणी देवी को जाता है। उन्होंने भरतनाट्यम की मूल विधा 'साधीर' को तब पहचान दिलाई जब महिलाओं के नृत्य करने को समाज में अच्छा नहीं माना जाता था। उन्होंने तमाम विरोधों के बावजूद महिलाओं के नृत्य करने का समर्थन किया। इनके 112वें जन्मदिवस पर गूगल ने नृत्य मुद्रा में इनका डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी।

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शाकाहारी या मांसाहारी होने का धर्म से कोई वास्ता नहीं

हर बार खाना खाते समय या कहीं बाहर खाने की योजना बनाते समय मेरे विदेशी सहकर्मी और मित्र यही प्रश्न पूछते हैं की मैं शाकाहारी क्यों हूँ? पूछते हैं की religious कारण है या personally, you decided to be vegetarian.…

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क्‍या आप जानते हैं, ब्राह्मण शाकाहारी क्यों बने?

एक समय था, जब ब्राह्मण सब से अधिक गोमांसाहारी थे। कर्मकांड के उस युग में शायद ही कोई दिन ऐसा होता हो, जब किसी यज्ञ के निमित्त गो वध न होता हो, और जिसमें कोई अब्राह्मण किसी ब्राह्मण को न बुलाता हो। ब्राह्मण के लिए हर दिन गोमांसाहार का दिन था। अपनी गोमांसा लालसा को छिपाने के लिए उसे गूढ़ बनाने का प्रयत्‍न किया जाता था। इस रहस्यमय ठाठ-बाट की कुछ जानकारी ऐतरेय ब्राह्मण में देखी जा सकती है। इस प्रकार के यज्ञ में भाग लेने वाले पुरोहितों की संख्या कुल सत्रह होती, और वे स्वाभाविक तौर पर मृत पशु की पूरी…

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हमारे प्रेरणास्रोत गाँधीजी का शाकाहार

मोहनदास करमचंद गाँधी ने 1887 में बम्बई विश्व-विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा पास की। एक वर्ष पहले पिता की मृत्यु हो जाने से परिवार की आर्थिक दशा संतोषजनक न रही थी। घर में पढ़ाई जारी रखने वाला अकेला वही लड़का था। परिवार को उससे बड़ी उम्मीदें थी। इसलिए आगे पढ़ने के लिए उसे भावनगर भेजा गया, जो कालेज की पढ़ाई के लिए सबसे नजदीक का शहर था। लेकिने मोहन के दुर्भाग्य से वहां पढ़ाई का माध्यम अंग्रेजी था और व्याख्यान उसकी समझ में नहीं आते थे। यहां तक कि प्रगति और सफलता की आशा ही नहीं रह गई। इसी बीच…

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बुद्धिमान बालक

एक धनिक लम्बी तीर्थयात्रा पर जा रहा था। उसने नगर के सभी लोगों को यात्रा की पूर्वरात्रि में भोजन पर आमंत्रित किया। सैंकडों लोग खाने पर आए। मेहमानों को मछली और मेमनों का मांस परोसा गया। भोज की समाप्ति पर धनिक सभी लोगों को विदाई भाषण देने के लिए खड़ा हुआ। अन्य बातों के साथ-साथ उसने यह भी कहा – “परमात्मा कितना कृपालु है कि उसने मनुष्यों के खाने के लिए स्वादिष्ट मछलियाँ और पशुओं को जन्म दिया है”। सभी उपस्थितों ने धनिक की बात में हामी भरी।

भोज में एक बारह साल का लड़का भी था। उसने कहा – “आप ग़लत कह…

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